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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2714
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

अध्याय - 4
राष्ट्रीय आय मापन की विधियाँ 
(Methods of National Income Measurement)

 

राष्ट्रीय आय मूल्य वृद्धि रीति और आय विधि के बराबर होती है। मूल्य वृद्धि का तात्पर्य है कि उत्पादन की प्रत्येक अवस्था में प्रत्येक फर्म द्वारा वस्तु के मूल्य में कितना मूल्य जोड़ा गया है। मूल्य वृद्धि रीति के अनुसार देश में उत्पादित समस्त वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य का योग ही राष्ट्रीय आय कहलाती है। राष्ट्रीय आय की गणना की यह रीति अर्थ व्यवस्था के विभिन्न वर्गों की आयों का योग होती है जिसके कारण कभी-कभी इसे 'औद्योगिक उद्भव द्वारा राष्ट्रीय आय' भी कहा जाता है। इसके द्वारा देश में एक वर्ष में वस्तुओं तथा सेवाओं का योग किये जाने के कारण यह रीति वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह के रूप में भी जानी जाती है। इस प्रकार मूल्य वृद्धि रीति वह रीति है जो एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा के अन्तर्गत प्रत्येक उद्यम के उत्पादन में योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय की माप करती है। इस रीति में ध्यान देने योग्य मुख्य बिन्दु उत्पादन करने वाली इकाइयों की संख्या तथा उसके द्वारा इकाई उत्पादन में की गई शुद्ध मूल्य वृद्धि की मात्रा है। आय विधि को साधन भुगतान विधि अथवा वर्गीकृत कार्यों के अनुसार विधि भी कहा जाता है। वस्तुतः आय विधि वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में उत्पादन के साधनों को उसकी उत्पादक सेवाओं के बदले में क्रमशः मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में किये गये भुगतान की गणना करके राष्ट्रीय आय की माप करती है। इस रीति के आधार पर की जाने वाली राष्ट्रीय आय की गणना विधि के आधार पर की गयी राष्ट्रीय आय की गणना के बराबर होती है परन्तु इसके लिए यह आवश्यक है कि आय की गणना करते समय इस विधि में किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो और आँकड़ों का विश्लेषण सम्यक् सतर्कता के साथ विचार पूर्वक किया गया हो और इसमें किसी प्रकार की त्रुटि या विरोधाभास न हो। राष्ट्रीय आय की माप की तीसरी विधि, व्यय विधि है। इस विधि को अंतिम व्यय विधि या उपभोग विनिमय विधि भी कहा जाता है क्योंकि इस विधि के अनुसार अंतिम उपभोग तथा विनियोग व्यय को जोड़कर राष्ट्रीय माप की गणना की जाती है। यह विधि वास्तव में इस मान्यता पर आधारित है कि राष्ट्रीय आय एवं राष्ट्रीय व्यय समान होते हैं। अतः व्यय की विधि वह विधि है जिसके द्वारा एक लेखा वर्ग में बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद पर किये गये अंतिम व्यय पर किया जाता है। यह अंतिम व्यय बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होता है जिसे सूत्र Y = C+ 1 से दिखाया जाता है। अंतिम व्यय की पहचान, कुल स्थायी पूँजी निर्माण, स्टाक में बदलाव तथा शुद्ध निर्यात की कीमत इस विधि के महत्त्वपूर्ण बिन्दु हैं। राष्ट्रीय आय मापन की तीनों विधियों से लगभग समान परिणाम प्राप्त होते हैं परन्तु आँकड़ों की उपलब्धता तथा उनकी शुद्धता के आधार पर इनके परिणामों में कुछ अन्तर हो सकता है। कभी-कभी कुछ विशिष्ट क्षेत्र के लिए विशिष्ट विधि प्रयोग में लायी जाती है। विकासित देशों में मुख्यतः आय विधि प्रयोग में लायी जाती है क्योंकि वहाँ के आय संबंधी आँकड़े आसानी से उपलब्ध होते हैं जबकि आय के सही आँकड़ों की अनुपलब्धता के कारण अर्द्ध विकासित देशों में मूल्य वृद्धि की रीति का उपयोग किया जाता है। गणना विधि का प्रयोग किया जाना राष्ट्रीय आय के उद्देश्य पर भी निर्भर करता है यदि हम आर्थिक विकास की जानकारी हेतु राष्ट्रीय आय की माप करना चाहते हैं तो मूल्य वृद्धि विधि हमारे लिए उचित होंगी परन्तु यदि हम आर्थिक कल्याण की जानकारी प्राप्त करना चाहें तो व्यय विधि हमारे लिए अधिक उपयुक्त होगी।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • राष्ट्रीय आय, मूल्य वृद्धि रीति तथा आय- विधि के बराबर होती है।
  • मूल्य वृद्धि से तात्पर्य है उत्पादन की प्रत्येक अवस्था में प्रत्येक फर्म द्वारा वस्तु के मूल्य में कितना जोड़ा गया है? इस रीति के अनुसार देश में उत्पादित समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य ही राष्ट्रीय आय कहलाता है।
  • MSK F
  • राष्ट्रीय आय को औद्योगिक उद्भव द्वारा राष्ट्रीय आय भी कहा जाता है।
  • सामान्य शब्दों में मूल्य वृद्धि वह रीति है जो एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा के अन्तर्गत प्रत्येक उद्यम के उत्पादन में योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय की माप की जाती है। आय विधि को साधन भुगतान विधि या वर्गीकृत कार्यों के अनुसार विधि भी कहा जाता है। आय विधि वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में उत्पादन के साधनों (श्रम, पूंजी, भूमि व उद्यम ) को उसकी उत्पादक सेवाओं के बदले में क्रमशः मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में लिए गए भुगतान की गणना करके राष्ट्रीय आय की माप करती है।
  • व्यय विधि को अंतिम व्यय विधि या उपभोग विनिमय विधि भी कहा जाता है।
  • 'व्यय विधि में अंतिम उपभोग और विनियोग व्यय को जोड़कर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।
  • व्यय विधि की प्रमुख मान्यता यह है कि राष्ट्रीय आय एवं राष्ट्रीय व्यय समान होते हैं।
  • उपभोग पर किया जाना वाला व्यय अंतिम उपभोग व्यय कहलाता है।
  • उत्पादकों के पास जो स्टाक बढ़ता है उसमें बाजार से गुणा करने पर स्टॉक में होने वाले व्यय की गणना होती है।
  • व्यय विधि से आय विधि की गणना करने से पूर्व कुछ सावधानियाँ बरती जाती हैं जैसे पुरानी वस्तुओं पर व्यय सम्मिलित नहीं होते, पुरानी वस्तुओं पर किये जाने वाले व्यय राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं होते।
  • प्रतिभूतियों के क्रय पर किये गए व्यय राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होते।
  • अन्तरण भुगतान जैसे— बेरोजगारी भत्ता, विधवा पेंशन, छात्रवृत्ति, वृद्धावस्था पेंशन आदि पर व्यय राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होते हैं।
  • यदि किसी उद्योगपति द्वारा अंतिम व्यय उपभोग या पूँजी निर्माण के लिए वस्तुएँ तथा सेवायें खरीदी जाती हैं तो उन पर किया गया व्यय अंतिम व्यय कहलाता है।
  • यदि हम आर्थिक विकास की जानकारी हेतु राष्ट्रीय आय का माप करना चाहते हैं तो तब मूल्य वृद्धि रीति उचित होगी और यदि हम आर्थिक कल्याण की जानकारी लेना चाहते हैं तो व्यय विधि उपयुक्त होगी।
  • सामान्यतया राष्ट्रीय आय की गणना मुद्रा में की जाती है।
  • जब राष्ट्रीय आय की गणना करते समय उत्पादनों में ठीक ढंग से अन्तर नहीं किया जाता है तब दोहरी गणना की संभावना बनी रहती है जिससे राष्ट्रीय आय का अनुमान वास्तविकता से अधिक लगा लिया जाता है।
  • मूल्य ह्रास का अनुमान किसी मशीन के औसत जीवन पर निर्भर करता है जिसका अनुमान लगाना अत्यन्त कठिन है।
  • किसी विनियोग के आशय देश के उद्योगपतियों द्वारा विधि क्षेत्रों में दिये गए विनियोग से लगाया जाता है।
  • निर्यात व आयात की गई वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अन्तर को शुद्ध निर्यात कहा जाता है। नये घर के निर्माण पर व्यय को निवेश व्यय कहा जाता है।
  • निवेश का प्रमुख उदाहरण मकान व्यय, सड़क निर्माण व्यय, नहरों पर व्यय है।
  • NI के आँकड़ों का प्रयोग आय वितरण, नियोजन, नीति निर्माण आदि में किया जाता है। साधन लागत पर GDP में मजदूरी, बचत एवं आय को शामिल किया जाता है।
  • एक चार क्षेत्र की खुली अर्थव्यवस्था में समग्र व्यय संघटक में विदेश क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र, बचत एवं निवेश को शामिल किया जाता है।
  • NNP = GNP - DEP होता है।
  • उत्पाद विधि को साइमन कुजनेट्स ने वस्तु सेवा पद्धति के नाम से सम्बोधित किया है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद में किराया, वेतन एवं मजदूरी तथा लाभांश को
  • शामिल किया जाता है। GNP में आवास निर्माण, वस्तु एवं सेवा तथा स्थिर पूँजी निर्माण को शामिल किया जाता है। GDPFC में मूल्य ह्रास, कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति परिचालन अधिशेष को रखते हैं।
  • साधन लागत पर GDP में परिचालन अधिशेष, मूल्य ह्रास तथा कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति को रखते हैं।
  • GNP में उपभोक्ता वस्तु एवं सेवा, स्थिर पूँजी निर्माण तथा आवास निर्माण को शामिल करते हैं।
  • सभी साधनों का योग GDP कहलाता है।
  • राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय व्यय
  • GNP = NI = GNE
  • सकल घरेलू उत्पाद में शामिल वस्तु एवं सेवा के कीमतं परिवर्तन सूचक को GDP में अवस्फीति कहा जाता है।
  • मूल्य वृद्धि रीति में वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह का योग किया जाता है।
  • प्रो. साइमन कुजनेट्स ने 'वस्तु सेवा पद्धति' में मूल्य बढ़ाव रीति एवं उत्पाद विधि को शामिल किया है।
  • एक उद्यमी दूसरे से जो वस्तुएँ या सेवाओं क्रय करता है, उसका पुनः उपभोग विक्रय करने के लिए प्रयोग की जाने वाली वस्तु को मध्यवर्ती व्यय कहा जाता है।
  • अन्तिम व्यय में अन्तिम उपभोग क्रय सेवाओं का सकल निर्माण तथा शुद्ध निर्यात को सम्मिलित किया जाता है।
  • प्रसिद्ध कथन 'GDP सभी साधनों की आय का जोड़ है' सत्य है।
  • उपकरणों के मरम्मत और प्रतिस्थापन के लिए जो राशि रखी जाती है, उसे पूँजी उपभोग भत्ता तथा मूल्य ह्रास कहा जाता है।
  • व्यय विधि राष्ट्रीय आय गणना की सबसे प्रमुख विधि है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macro Economics)
  2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 राष्ट्रीय आय एवं सम्बन्धित समाहार (National Income and Related Aggregates)
  5. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 राष्ट्रीय आय लेखांकन एवं कुछ आधारभूत अवधारणाएँ (National Income Accounting and Some Basic Concepts)
  8. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 राष्ट्रीय आय मापन की विधियाँ (Methods of National Income Measurement)
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income)
  14. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 हरित लेखांकन (Green Accounting)
  17. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त (The Classical Theory of Employment)
  20. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 कीन्स का रोजगार सिद्धान्त (Keynesian Theory of Employment)
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 उपभोग फलन (Consumption Function)
  26. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 विनियोग गुणक (Investment Multiplier)
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 निवेश एवं निवेश फलन(Investment and Investment Function)
  32. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 बचत तथा निवेश साम्य (Saving and Investment Equilibrium)
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 त्वरक सिद्धान्त (Principle of Accelerator)
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 ब्याज का प्रतिष्ठित, नव-प्रतिष्ठित एवं कीन्सीयन सिद्धान्त (Classical, Neo-classical and Keynesian Theories of Interest)
  41. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  42. उत्तरमाला
  43. अध्याय - 15 ब्याज का आधुनिक सिद्धान्त (IS-LM व्याख्या) Modern Theory of Interest (IS-LM Analysis )
  44. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  45. उत्तरमाला
  46. अध्याय - 16 मुद्रास्फीति की अवधारणा एवं सिद्धान्त (Concept and Theory of Inflation)
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 17 फिलिप वक्र (Philips Curve)
  50. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  51. उत्तरमाला

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